कूड़ा निस्तारण के मोर्चे पर निगम के अधिकारी कितने सजग हैं इसकी बानगी सोमवार को शासन से आए आला अधिकारियों की बैठक में देखने को मिली। अव्यवस्था का आलम ये रहा कि निगम अधिकारी कूड़े से निकलने वाली प्लास्टिक की मात्रा तक नहीं बता पाए। इतना ही नहीं सभी कूड़ा गड़ियों में अब तक जीपीएस की व्यवस्था भी नहीं हो पाई है। निगम प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली पर आखिरकार एसई रवि पांडे को कहना पड़ा कि काम होगा तभी सटीक आंकड़े भी पता होंगे। उन्होंने निगम अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि जाइये मुनिकीरेती पालिका से कार्यप्रणाली सीखिए। सोमवार को निगम सभागार में जर्मन इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन, नगर निगम, पालिका, पेयजल विभाग के आला अधिकारियों की बैठक हुई। ये बैठक गंगा किनारे के शहरों में प्लास्टिक प्रबंधन को लेकर आयोजित की गई थी। विशेषज्ञों के सवाल पर नगर आयुक्त नरेंद्र सिंह क्वींरियाल ने बताया कि वर्तमान में संपूर्ण निगम क्षेत्र से 60 मीट्रिक टन डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन हो रहा है। जैसे ही सोर्स सेग्रीगेशन के बारे में पूछा गया तो वे बगलें झांकते नजर आए। इसके बाद उन्होंने जवाब देने के लिए सफाई निरीक्षकों की ओर इशारा किया।
हालत ये रही कि अपने आला अधिकारी की तरह सफाई निरीक्षकों की भीड़ भी सेग्रीगेशन का आंकड़ा दे पाने में अक्षम साबित हुई। समस्त कूड़े से कितना प्लास्टिक निकल रहा है इस बारे में निगम के अधिकारी और कर्मचारी मौन साधे रहे। विदेशी कंपनी के विशेषज्ञों के सामने इस असहज स्थित पर शहरी विकास विभाग के एसई रवि पांडे तल्ख हो गए। उन्होंने बिना तैयारी बैठक में चले आने पर नाराजगी जाहिर की। साथ ही शीघ्र निगम अधिकारियों को ट्रचिंग ग्राउंड में कम्पेक्टर लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने हिदायत देते हुए कहा कि मुनिकीरेती पालिका में कम्पेक्टर से हो रही कूड़े की छंटाई से सीख कर आएं।
बैठक में जर्मन इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन के एक्सपर्ट मेथ्यू, फ्रेंगोयस, परियोजना प्रबंधक नमामि गंगे संदीप कश्यप, रिप्रजेंटेटर नमामि गंगे मिराज अहमद, सहायक नगर आयुक्त विनोद लाल, नगर निगम के सफाई निरीक्षक सचिन रावत, धीरेंद्र सेमवाल, संतोष सिंह, अभिषेक मल्होत्रा, मुनिकीरेती पालिका के सफाई निरीक्षक भूपेंद्र पंवार, लिपिक दीपक कुमार आदि उपस्थित थे। यह है परियोजना बता दें कि गंगा रिजुविनेशन कार्यक्रम के तहत जर्मन इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन की ओर से गंगा प्लास्टिक सिटी पार्टनरशिप योजना के अंतर्गत गंगा से लगे बड़े नगरों ऋषिकेश, हरिद्वार में प्लास्टिक की समस्या को हल करने के लिए एक पायलट परियोजना तैयार की जा रही है। इसमें जर्मन इंटरनेशनल कॉरपोरेशन के विशेषज्ञ समेत नगर निगम ऋषिकेश, मुनिकीरेती नगर पालिका और पेयजल विभाग के आला अधिकारियों ने भाग लिया। इसमें विशेषज्ञों ने दोनों क्षेत्रों में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन, सोर्स सेग्रीगेशन के सबंध में जानकारी ली।
मुनिकीरेती पालिका ने कूड़े से कमाए 12 लाख
मुनिकीरेती पालिका के अधिशासी अधिकारी बद्री प्रसाद भट्ट ने बताया कि वर्तमान में 12 मीट्रिक टन कूड़ा डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन से प्राप्त हो रहा है। साथ ही इसमें से 90 प्रतिशत कूड़े का सोर्स सेग्रीगेशन किया जा रहा है। इससे करीब तीन मीट्रिक टन प्लास्टिक और दो मीट्रिक टन खाद प्राप्त हो रही है एवं अन्य अपशिष्टों को हरिद्वार भेजा जा रहा है। बताया कि अभी तक पालिका ने खाद, प्लास्टिक और अन्य वेस्ट सामग्री बेचकर 12 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमाया है।
सभी कूड़ा वाहनों में जीपीएस लगाने के निर्देश
बैठक के दौरान कूड़ा वाहनों को लेकर भी लापरवाही का मामला सामना आया। सफाई निरीक्षक सचिन रावत ने बताया कि वर्तमान में 10 कूड़ा वाहनों में ही जीपीएस लगाया गया है। इस पर एसई रवि पांडे ने तीन दिनों में सभी 20 कूड़ा वाहनों में जीपीएस लगाने के निर्देश दिए।
तपोवन की तर्ज पर लें होटलों से कूड़ा उठाने का किराया
एसई रवि पांडे ने होटलों से कूड़ा उठाने के लिए तपोवन में कार्यरत एक कनेडियन लेडी की कार्यप्रणाली को अपनाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि तीन प्रकार से भार निर्धारित करें। रेस्टोरेंट में सीट या कमरों के बेड के हिसाब से होटलों में कूड़ा उठाने का किराया निर्धारित किया जाए। उन्होंने बताया कि इससे कूड़े की मात्रा का सही अनुमान भी लग सकेगा।
प्लास्टिक कूड़े के सवाल पर बगलें झांकने लगे अफसर